दर्शन
भगवान अंजनी लाल जी के मन्दिर के निर्माण के बाद भगवान श्री अंजनी लाल जी ने मन्दिर परिसर मे एक शिवालय निर्माण की प्रेरणा दी। समिति सदस्यों ने विचार कर निर्णय लिया कि भगवान श्री अंजनी लाल जी के मन्दिर के सामने स्थित एक बडी झील के मध्य एक छोटा सा जल मन्दिर (शिवालय) का निर्माण कराया जाय। निर्माण मे सबसे बड़ी समस्या वो झील थी क्योकि झील आकार मे विशाल तथा बहुत गहरी थी उसमे हजारो की संख्या में जहरीले साँप, बिच्छु एवम जीव जंतु थे। लेकिन भगवान को शिवालय तो अन्य स्थान पर बनवाना था इसलिये उन्होंने विश्व के महान धर्म सम्राट स्वामी श्री करपात्री जी महाराज के उत्तराधिकारी शिष्य धर्म सम्राट स्वामी चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज को अपने राजसी वैभव के साथ नवरात्री महोत्सव मे प्रवचन हेतु पधारने की स्वीकृति प्रधान कराई। महाराज जी नियत समय पर अपने लाव लश्कर के साथ मन्दिर धाम पर पधारे जैसे ही उन्होंने जमीन पर पैर रखा। उन्हें एक झटका सा महसूस हुआ तभी उन्होंने वहाँ स्वागत के लिये उपस्थित सदस्यों से कहा की ये तो पावन धरती है। यह स्थान तो पहले संत महात्माओ की तपोस्थली रहा है, हम भी यहाँ प्रवचन के साथ-साथ स्फटिक, पारद, नीलम मणि आदि बहुमूल्य रत्नों से निर्मित शिव लिंगो का अभिषेक करेगे। स्वामी जी महाराज ने अभिषेक का समय प्रातरू 5 बजे रखा समिति सदस्यों ने सोचा कि इतनी सुबह कौन आयेगा। लेकिन भगवान की कृपा एवम् महाराज श्री की सिद्धि की विजय हुई।
पहले दिन ही करीब 100 भाई बहन आये उसके बाद तीर्व गति से संख्या बड़ी, एक दो दिन के बाद तो ऐसी स्थिति बनी की सैकड़ो की संख्या मे भक्तजन उचित स्थान पाने के लिये स्नान कर रात्रि 3 बजे से ही अभिषेक स्थल आकर बैठ जाते थे। ताकि अभिषेक के अच्छे से दर्शन हो सके। समिति सदस्यों ने ऐसी महान विभूति से शिवालय निर्माण हेतु स्थान चयन करने का निवेदन किया। धर्म सम्राट स्वामी जी ने भगवान श्री अंजनी लाल जी के पास का स्थान बताया। उसी स्थान पर पूज्य स्वामी जी के कर कमलो से नवरात्री के पावन पर्व पर भूमि पूजन कराकर शीघ्र निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया। करीब 5 वर्ष में मन्दिर का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। सन् 2003 को महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर विशाल स्तर पर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया गया। जिसमे हजारो नागरिको के समक्ष होने वाले चमत्कारो का वर्णन क्रम से करना भी आवश्यक है।
मन्दिर मे स्थित शिव लिंग मे बारह ज्योतिर्लिंग समाविष्ट है। उनकी पूजन, अर्चन एवम् अभिषेक से बारह ज्योतिर्लिंग की पूजा, अर्चना एवम् अभिषेक करने का पुण्य प्राप्त होता है। भगवान द्वादश ज्योतिलिंगश्वर महादेव जी का अभिषेक पूरे वर्ष प्रति दिन प्रातरू 6 बजे से किया जाता है। जिस किसी भक्त को अभिषेक करना होता है, वे मन्दिर धाम स्थित कार्यालय पर जाकर सम्पर्क कर सकते है, और अभिषेक की सामग्री की सूची ले सकते है, ये सामग्री आप स्वयं ला सकते है या सामग्री की राशि जमा कर अपना नाम पंजीयन करा सकते है। अभिषेक के लिये आप को सपरिवार प्रातरू 5.30 भारतीय वेशभूषा मे उपस्थित होना है। वहा आचार्यो का दल आपसे पूरे विधिविधान से अभिषेक करायेगे।