दर्शन
श्री अंजनी लाल मंदिर धाम के सभी विकास कार्य मंदिर पर दान पेटियों से, प्राप्तियों से, आयोजनों से, लोगों की इच्छाओं की पूर्ति, संकल्प को पूरा करने, दानकर्ताओं से घोषणाएं किए गए हैं। इसमें किसी बड़े आदमी या उद्योगपति का कोई योगदान नहीं है। सभी दानदाता गरीब, गरीब या मध्यम वर्ग के हैं। वर्तमान में श्री अंजनी लाल जी के मन्दिर का निर्माण कार्य तीर्व गति से चल रहा है। ट्रस्ट परिवार आपको मन्दिर धाम पर पधारने के लिये आमंत्रित करता है। मन्दिर पर पधारे, निर्माण के कार्य का अवलोकन करे, सभी मन्दिरों के दर्शन कर अपनी मनोकामनाए पूर्ण करे। ये एक ऐस ा दरबार है जहा हर व्यक्ति की मनोकामनाये पूर्ण होती है हर संकट व बीमारियाँ दूर होती है।
भगवान श्री अंजनी लाल मन्दिर धाम पर भगवान व्दादश ज्योतिर्लिगेश्वर महादेव जी का मन्दिर व भगवान श्री राम जी के भव्य, विशाल व दर्शनीय मन्दिर निर्माण एवम प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात ट्रस्ट की आगामी योजना भगवान श्री अंजनी लाल जी के ऐसे मन्दिर निर्माण कि थी कि जिसकी प्रसिद्धी दूर-दूर तक हो जो एक बार दर्शन के लिये आये तो मन्दिर कि छवि उनके मानस पटल पर हमेशा-हमेशा के लिये अंकित हो जाये। उनका मन बार बार दर्शन के लिये लालायित हो तथा वह दुसरो को प्रेरित करे। ट्रस्टियो की भावना को मन्दिर धाम पर विराजित भगवान ने स्वीकार किया तथा उन्होंने सभी ट्रस्टियो व सदस्यों के दिल से एक ही आवाज निकली की मन्दिर तो पूर्ण रूपेण श्वेत मकराना मार्बल से ही बनना चाहिये। योजना व निर्माण कि प्रकिया प्रारम्भ की वास्तुकार से नक्क्षा व बजट का मालूम किया बजट आया करीब चार करोड़ रुपये भगवान ने प्रेरणा दि साहस व सजाया और मीटिंग में इस नक्क्षे को व बजट को पारित किया। अब ये भगवान का चमत्कार ही तो है की जो संस्था 45 वर्ष मात्र 1500 रूपये के निर्माण के लिये बाजार का चक्कर लगाती थी उसने इतने बड़े निर्माण का सहज ही निर्णय ले लिया। मन्दिर ट्रस्ट की हमेशा से यह सोच रही हें कि यहाँ का हर कार्य भगवान स्याम करते है। उनकी हम पर कृपा है कि उन्होंने इस कार्य के लिये हमारा चयन किया। अगली मीटिंग में भूमि पूजन पर चर्चा हुई तब सर्व सम्मति से यह निर्णय हुआ की भूमि पूजन समारोह भी ऐसा होना चाहिये की जा पूरे प्रदेश में क्रीतिमान स्थापित करे। इस समारोह में भूमि पूजन करने के लिये कम से कम 100 दान दाता ऐसे हो जो निर्माण के लिये न्यूनतम एक लाख ग्यारह हजार एक सों ग्यारह रूपये देने की घोषणा करे ट्रस्टियो के प्रयास से व भगवान कि क्रपा से भूमि पूजन समारोह में 100 के स्थान पर 108 दान दाता बेठे। सन 2013 को मन्दिर निर्माण हेतु भूमि पूजन हुआ। वर्तमान में मन्दिर का निर्माण कार्य तीर्व गति से चल रहा है। घोषणा करने वाले दान दाताओ से, मन्दिर पर लगी दान पेटियों से, रसीदों से, आयोजनों से, लोगो की मनोकामनाए पूर्ण होने पर संकल्प पूर्ण करने आदि से प्राप्त दान से निर्माण कार्य चल रहा है। इसमे किसी बड़े आदमी या उद्योगपति का कोई योगदान नहीं है। सभी दान दाता गरीब, निर्धन, या मध्यमवर्गीय है। ट्रस्ट के नियमानुसार जो भी दान दाता 5101 रूपये से अधिक कि राशि दान में देगे उनका नाम संगमरमर कि पट्टिका पर अंकित किया जायेगा। ट्रस्ट परिवार आपको मन्दिर धाम पर पधारने के लिये आमंत्रित करता है तथा इस पुण्य कार्य में तन मन धन से सहयोग देने कि प्रार्थना करता है। दान देने हेतु आप श्री अंजनी लाल मन्दिर ट्रस्ट ब्यावरा के नाम से चेक, ड्राफ्ट, मनीआडर या सीधे बैंक खाते में जमा कर सकते है। मन्दिर पर पधारे, निर्माण कार्य का अवलोकन करे, सभी मन्दिरों के दर्शन कर अपनी मनोकामनाए पूर्ण करे। ये एक ऐसा दरबार है जहा हर व्यक्ति की मनोकामनाये पूर्ण होती है हर संकट व बीमारियाँ दूर होती है इसीलिये भारी तादाद में लोग मन्दिर धाम पर पधारते है। आप भी पधारे।
करीब 45 वर्षो पूर्व कुछ युवकों के मन मे भगवान ने मंदिर बनाने की प्रेरणा दी उन्होंने श्री अंजनीलाल मन्दिर समिति का गठन कर चबूतरे पर एक टीनशेड बनाने का निर्णय लिया। इसके पूर्व तक यह स्थान एक निर्जन, दुर्गम स्थान के रूप मे ही था चारों ओर घना जंगल, मन्दिर के सामने छोटे से तालाब जैसा ग-सज्ढा था जिसमे जहरीले कीड़े एवं सांप, बिच्छु आदि रहते थे। इस ग-सज्-सजे को धीरे-धीरे हजारों ट्राली मलवा डलवाकर भरवाया गया। ए.बी. रोड से मन्दिर तक का रास्ता पूरा वीरान था, बीच-बीच मे तीन-चार स्थानों पर बारिश के मौसम में रास्ते पर कमर-कमर तक पानी भर जाता था उसमे से निकलना मुश्किल होता था। लेकिन सभी के सहयोग से यह निर्जन, वीरान रहने वाला स्थल अब रमणीय स्थल बन गया है।
श्री अंजनीलाल जी के प्रति श्रद्धा तथा स्वेच्छा से जो श्रद्धालुओं का सहयोग दान से ही मंदिर धाम का विकास होता आ रहा है। टीन शेड के बाद छोटा सा आरसीसी की छत वाला मंदिर बना। वर्तमान में ये मंदिर भी भगवान श्री राम जी एवम भगवान द्वादशज्योर्तिलिंगेश्वर महादेव के मन्दिर के समान श्वेत मकराना संगमरमर से भव्य विशाल व दर्शनीय मन्दिर बनने जा रहा है।
नगर वासियों को आध्यात्मिक, धार्मिक माहौल प्रदान करने हेतु श्री अंजनीलाल मंदिर समिति ने सन 1972 से शारदीय नवरात्रि पर्व को महोत्सव के रूप में मनाने की शुरूवात की। नगरवासियों के लिये यह प्रथम अवसर था काफी श्रोता आये तब से आज तक प्रतिवर्ष अश्विन मास मे विशाल नवरात्री (शारदीय) महोत्सव मनाया ज ा रहा है।
श्री अंजनीलाल जी के मंदिर का निर्माण करने के बाद समिति सदस्यों ने कार्यालय एवं संत निवास के रूप में पहला निर्माण कार्य का संकल्प लिया। इसकी उपयोगिता इसलिये भी जरूरी लगी कि पारायण के लिये -सजोलक, हारमोनियम, फर्श आदि सामान सदस्य गणों के घरों से मांग कर अपने कंधो पर लाते थे तथा जब संत महात्मा पधारते थे तब उनके -सजहरने की व्यवस्था मे एवं सामान रखने में भी मुश्किल आती थी। इसलिए मन्दिर के पास ही एक संत निवास तथा कार्यालय भवन बनाने की रूपरेखा तैयार की। तब सभी सदस्यों की आयु 15 से 20 वर्ष के करीब थी। मन मे उत्साह तथा जोश था इस भवन की नींव खुदाई तथा ईंट जुड़ाई आदि कार्यों में सदस्यों ने मजदूरों के साथ साथ श्रमदान किया। श्री अंजनीलाल जी के मंदिर का निर्माण करने के बाद समिति सदस्यों ने कार्यालय एवं संत निवास के रूप में पहला निर्माण कार्य किया। इसकी उपयोगिता इसलिये भी जरूरी लगी कि पारायण के लिये -सजोलक, हारमोनियम, फर्श आदि सामान सदस्यगण घरों से मांग कर अपने कंधो पर लाते थे तथा जब संत महात्मा पधारते थे तब उनके -सजहरने की व्यवस्था मे एवं सामान रखने में भी मुश्किल आती थी। इसलिए मन्दिर के पास ही एक संत निवास तथा कार्यालय भवन बनाने की रूपरेखा तैयार की। तब सभी सदस्यों की आयु 15 से 20 वर्ष के करीब थी मन मे उत्साह तथा जोश था इस भवन की नींव खुदाई तथा ईंट जुड़ाई आदि कार्यों में सदस्यों ने मजदूरों के साथ साथ श्रमदान किया।
नगर के हृदय स्थल पीपल चैराहा पर जहां हमेशा सघन जन समुदाय रहता है वहां पेयजल की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुऐ पुराने अस्पताल की गेट पर एक सुन्दर श्री रामप्याऊ का निर्माण समिति द्वारा किया गया। वर्तमान मे वाटर कूलर युक्त यह प्याऊ हजारों नागरिकों की प्यास तृप्त कर रही है। पूरे वर्ष नागरिकों को शुद्ध, शीतल पेयजल इस प्याऊ से मिलता है। इस प्याऊ में निरन्तर जल की पूर्ति के लिए तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष श्री कुसुमकान्तजी मित्तल के कार्यकाल में वाटरवक्र्स से मन्दिर तक पाईप लाइन डलवाई गई थी।
भगवान श्रीअंजनीलाल जी की कृपा से जैसे-जैसे लोगों की मनोकामनाऐं पूर्ण होने लगी जटिल से जटिल कष्ट निवारण होने लगे। वैसे-वैसे भण्डारों का दौर तथा पिकनिक गोट आदि होने लगी। इसके लिए संत निवास के पीछे एक सीता रसोई का निमार्ण कराया तथा न्यूनतम शुल्क पर बर्तन आदि की व्यवस्था प्रारम्भ की।
संत निवास के निर्माण कार्य के बाद मन्दिर पर एक प्याऊ का निर्माण कराया गया। उपस्थित विशाल जन समूह की प्यास की तृप्ती हेतु एक प्याऊ अति आवश्यक थी तब नगर के प्रतिष्ठित व्यवसायी श्री बालचन्द जी पालीवाल (सुठालिया वाले) के सहयोग से प्याऊ बनवाई गई।
अगले चरण में मंदिर धाम पर विश्राम गृह का निर्माण किया गया। भगवान श्री अंजनीलालजी के चमत्कार से मालवा क्षेत्र वासी परिचित हुए कई लोगों की मनोकामना पूर्ण होने लगी। मन्दिर पर भूत पे्रत बाधाओं से ग्रस्त आदि आने लगे जिस के कारण प्रति मंगलवार एवं शनिवार मेला जैसा लगने लगा। प्रसिद्धि ब-सज़ने लगी लोगों को फायदा होने लगा। पे्रत बाधाओं से लोग मुक्त होने लगे। तब देश के कोने-कोने से भक्तजन आने लगे। तब उनके ठहरने के लिये एक विश्रामगृह का निर्माण कराया गया जो शिवालय के सामने स्थित है।
जैसे-जैसे नवरात्री महोत्सव के माध्यम से नागरिकों में धर्म के प्रति जिज्ञासा एवं आकर्षण ब-सज़ने लगा वैसे-वैसे प्रसिद्ध संत विद्वान आने लगे। उनके प्रवचनों हेतु हर समय स्थान उपलब्ध हो इस हेतु एक टीनशेड वाला सत्संग हाल बनाने का निर्णय लिया, लेकिन भगवान श्री अंजनीलाल जी की कृपा से टीनशेड वाला सत्संग हाल बनते-बनते 100 गुणा 30 फुट का भव्य एवं सुंदर आरसीसी का हाल बना जिसमे करीब 3000 श्रोता आराम से बैठ कर सत्संग आनंद ले सकते है। इस हाल के साथ ही विद्वानों के आवास व्यवस्था हेतु सर्व सुविधायुक्त 3 कमरों भी निर्माण कराया गया। इसका भूमि पूजन स्व. श्री माता दीन जी वैध कि धर्म पत्नि व नगर के समाज सेवक डाॅ कैलाश चन्द्र जी मिश्रा की दादी माँ स्व. श्रीमति भंवरी बाई के कर कमलों से हुआ।
नगर एवं क्षैत्र वासियों की सुविधा हेतु प्रांगण एवं सत्संग भवन, अन्य कार्यक्रमांे जैसे शादी-विवाह, सामुहिक विवाह, समाज एवं राजनैतिक पार्टीयों की मिटिंग आदि हेतु न्यूनतम शुल्क पर दिया जाने लगा तब यह स्थान भी कम पड़ने लगे। इसलिये सत्संग भवन के ऊपर एक सामुदायिक भवन की आवश्यकता होने लगी। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजयसिंह जी ने समिति की मांग पर एक लाख रूपये कि सहयोग राशि स्वीकृत की। तथा इसका भूमि पूजन किया। इस सामुदायिक भवन को भव्यता एवं विशालता प्रदान करने मे तत्कालीन सांसद श्री लक्ष्मण सिंह जी ने दो लाख रूपये, सांसद श्री नारायण सिंह जी आमलाबे ने तीन लाख रूपये सत्संग भवन के लिये अपनी-अपनी सांसद निधि से दिये। तत्कालीन विधायक श्री बद्रीलाल जी यादव, श्री बलरामसिंहजी गुर्जरए, श्री पुरुषोत्तम जी दांगी ने भी अपनी अपनी विधायक निधि से दो-दो लाख रूपये कि राशि प्रदान कर सहयोग दिया तथा शेष राशि ट्रस्ट कोष से व्यय कर निर्मित ये सामुदायिक भवन सत्संग भवन के ऊपर मन्दिर धाम की शोभा ब-सज़ाते हुऐ नगर वासियों के लिये काम आ रहा है, इसमे सर्व सुविधा युक्त 9 कमरे तथा एक विशाल हाल है।
मंदिर पर आयोजनों की संख्या ब-सज़ने पर तथा विशाल सामूहिक विवाह एवं अन्य आयोजन होने पर एक और विशाल रसोई घर की आवश्यकता महसूस होने लगी। सत्संग भवन के समीप एक विशाल श्री रामप्रसादालय (रसोई घर) का निमार्ण कार्य कराया गया तथा बर्तन, गैस भट्टी, फर्श, कुर्सियां, जनरेटर आदि की व्यवस्था कराई गई वर्तमान मे करीब दस हजार व्यक्तियो की क्षमता धारक सामग्री उपलब्ध है।
नगर मे बहुतायत से गौमाता दयनीय स्थिति मे विचरण करती रहती थी अतः ट्रस्ट परिवार ने अनाथ, गौमाता की सेवा करने के उद्देश्य से गौशाला का प्रा रंभ किया। ट्रस्ट परिवार इसको संचालित करने के लिए शासन के किसी मद से कोई आर्थिक सहायता नही लेता है। समस्त खर्च मंदिर ट्रस्ट के कोष से ही किया जाता है।
ट्रस्ट द्वारा कई रोग परीक्षण शिविर जैसे बालरोग, नाक, कान, गला रोग, अस्थिरोग, क्षय रोग, केंसर रोग विश्वप्रसिद्ध एस्कार्ट हाॅस्पिटल नईदिल्ली के माध्यम से विशाल हृदय रोग शिविर का आयोजन किया जा चुका है। प्रतिवर्ष विशाल नैत्र शिविर का आयोजन भी किया जाता था। इन शिविरों में एक दिन में करीब 1500-2000 तक नैत्र रोगियों का परिक्षण किया जाता था। इनमे से करीब 600 नैत्र रोगियों का सफल आपरेशन मंदिर प्रांगण पर ही अस्थायी आपरेशन रूम बनाकर कराये गयेे। इन शिविरों में रोगियों की सुविधा के लिये एक अस्पताल रूपी भवन की आश्यकता महसूस की गई। एक नैत्र शिविर के शुभारम्भ समारोह में पधारे नवभारत समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक श्री प्रफुल्ल कुमार जी माहेश्वरी पधारे तो उन्होंने रोगियों की परेशानी देखी कुछ दिनों बाद भगवान कि कृपा से वे राज्य सभा के सांसद बने तब उन्होंने अपनी सांसद निधी से 5 लाख रूपये राशि प्रदान कर आरोग्य भवन का भूमि पूजन किया। आज भगवान श्री अंजनीलालजी की कृपा से यह भवन सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित क्षेत्रवासियों के रोग निदान के प्रयोजन के काम आ रहा है। इस भवन में 9 कक्ष तथा 2 बड़े हाॅल हैं। जिसमें अब प्रतिमाह के द्वितीय बुधवार को नेत्र शिविर का आयोजन किया जाता है, तथा प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से पतांजली योग के अंतर्गत योगा एवं प्राणायम किया जाता है। जिसमें बहुत से लोग शामिल होकर स्वास्थ लाभ ले रहे हैं।
श्री अंजनीलाल मंदिर ट्रस्ट परिवार का यह संकल्प था कि मन्दिर धाम पर जो भी शिवालय बने वो भव्य, विशाल दर्शनीय एवं अद्वितीय हो इसके लिये निर्णय लिया कि शिवालय को विशाल शिवलिंग के आकार का बनवाया जावे तथा उसमे स्थापित शिवलिंग मे द्वादश ज्योर्तिलिंगों का समावेश हो ताकि दर्शन पूजा, अर्चना, अभिषेक आदि में भक्तजनों को बारह ज्योर्तिलिगों का लाभ प्राप्त हो। इस तरह का शिवालय उस समय तक दुनिया में कही पर भी नहीं बनाया गया था। शिवालय बनने के बाद शिवालय के चारों ओर के प्रांगण में तात्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष डाॅ भारत वर्मा की परिषद द्वारा सी.सी. कार्य कराया गया। शिवालय में प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात प्रतिदिन भगवान का अभिषेक जन साधारण के लिये प्रातः 6 बजे से किया जाता है। इसमें कोई भी नागरिक भाग ले सकता है। ## शिवालय का भूमि चयन चमत्कारिक घटना... मन्दिर ट्रस्ट को भगवान ने एक विशाल शिवालय निर्माण की प्रेरणा दी। ट्रस्ट ने निर्णय लिया कि भगवान श्री अंजनीलाल जी मन्दिर के सामने स्थित विशाल खाई वाले स्थान पर शिवालय बनाया जाये। इस हेतु उस विशाल खाई की पूर्ति हेतु उसमे हजारों ट्राली मिट्टी डालकर उसकी पूर्ति कराई गई। इस बीच सन् 1987 मे आयोजित नवरात्री महोत्सव में परम पूज्य धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज के उत्तराधिकारी शिष्य पूज्य डाॅ. लक्ष्मण चेतन्य बह्मचारी जी महाराज का आगमन हुआ। वे भगवान शिवजी के अनन्य भक्त थे। उन्होंने प्रातः प्रतिदिन भगवान शिव का अभिषेक करने की बात कही। महाराज श्री ने प्रातः 5 बजे अभिषेक करने हेतु जनसामान्य को आमंत्रित किया तो सभी को लगा कि इतनी जल्दी उठकर कुछ ही लोग आ पायेंगे। लेकिन जब श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी तो सभी आश्चर्य चकित रह गये। उनसे अभिषेक स्थल के चयन के विषय में चर्चा की तो स्वतः एक स्थान पर उनके चरण रूक गये और उन्होंने कहा कि यह शिवालय के लिये उपयुक्त स्थान है। इसी जगह आप लोगों को शिवालय निर्मिंत कराना चाहियें तब ट्रस्ट परिवार ने निवेदन किया कि शिवालय का स्थान पूर्व में ट्रस्ट ने अंजनी लाल जी के सामने निर्धारित कर रखा है और इसीलिये इस विशाल खाई को भरवाया गया है। तब महाराज श्री ने कहा कि यहाॅ तो अंजनी लाल जी की इच्छा अपने स्वामी भगवान श्री राम को विराजमान कराने की है। अतः आप यही पर शिवालय का निर्माण करावे। मंदिर ट्रस्ट परिवार ने उनके आदेश को मानकर महाराज श्री के कर कमलों से शिवालय का भूमी पूजन सम्पन्न कराया।
नवनिर्मित श्रीराम मन्दिर एवं आरोग्य भवन के मध्य पुष्प वाटिका के अधिकाश भाग का उपयोग श्री राम मन्दिर मे हो जाने के कारण पुनः स्थल की शोभा ब-सज़ाने तथा श्रृदालुओं को आत्मीय शांति प्रदान करने हेतु तात्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष श्री राधा कृष्ण जी बड़ोने के कार्य काल मे श्री अंजनीलाल उद्यान को विकसित किया गया। जिसमे प्राकृतिक छटा लिये हुए जल प्रपात तथा बास एवं लकड़ी सी लगने वाली सीमेंट की जाली मन को आकर्षित करती है।
भगवान श्री अंजनीलाल मन्दिर के सामने श्रीराम मन्दिर का भूमि पूजन क्षैत्र के प्रसिद्ध संत परम पूज्य श्री सीताराम दासजी महाराज कोडक्या वालों के कर कमलों से सम्पन्न हुआ। इसका शुरू में अनुमानित व्यय करीब 20 लाख रूपये माना गया था। लेकिन श्री अंजनीलालजी को अपने स्वामी भगवान श्रीरामजी को कोई साधारण मन्दिर मे विराजमान नही कराना था। वे ट्रस्ट परिवार को पे्ररणा देते रहे, मन्दिर उन्ही की इच्छा अनुरूप बनता गया। जहां प्रारंभ में पूरे मंदिर का बजट 20 लाख था किंतु उस मन्दिर मे मकराना मार्बल हस्त कला की घड़ाई की श्रृंगार सामग्री तोरण, सिंहासन, मेहराब, स्तम्भ आदि की लागत ही करीब 25 लाख से अधिक की आई है। पूरा मन्दिर मकराना मार्बल से बना है। कांच का खूबसूरत कार्य, विद्युत साज-सज्जा से सुसज्जजित यह मंदिर भगवान श्रीराम का राजमहल लगता है। पूरा मन्दिर बाहर से दक्षिण भारत कला का जीता जागता उदाहरण है।
श्री अंजनीलाल मन्दिर धाम पुण्य सलिला अजनार नदी के तट पर स्थित है। वर्षा काल मे नदी के प्रवाह एवं बा-सज़ से दिनों दिन भूमि क्षरण हो रही थी इसे रोकने के लिऐ प्रशासन एवं जनसहयोग से करीब 10 लाख की लागत से एक तट रक्षक दिवार का निर्माण कार्य कराया गया। यह कार्य दो चरणों में हुआ। 5 लाख रूपये तत्कालीन कलेक्टर श्री जी.पी. तिवारी ने स्वीकृत किये और पुनः 5 लाख रूपये उनके बाद आये तत्कालीन कलेक्टर श्री शिवानन्द दुबे ने स्वीकृत किये। तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष श्री राधा कृष्ण जी बड़ोने के कार्यकाल में उक्त तट रक्षक दीवार का निर्माण नगर पालिका के माध्यम से कराया गया। इसके साथ ही समीप में नया और बड़े आकार का घाट निर्माण कराया गया। जिसमें मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों के साथ ही विधायक श्री पुरूषोत्तम जी दांगी ने भी व्यक्तिगत व विधायक निधि से सहयोग दिया। नदी किनारे दीवार बनने के बाद नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सुनंदा जगताप के सहयोग से यहां एक मैदान विकसित किया गया। जिसमें भविष्य में ऐसी योजना है कि दर्शनार्थीयों को नदी किनारे रमणीय स्थान का अनुभव हो।
श्रीअंजनीलाल मन्दिर धाम के चारों और बाउन्ड्रीवाल न होने से मंदिर धाम की सम्पति की सुरक्षा नहीं हो पा रही है। इसके लिये जब ट्रस्ट परिवार ने क्षैत्र के सांसद श्री नारायणसिंह जी आमलाबे एवं ब्यावरा क्षैत्र के विधायक श्री पुरषोत्तम दांगी का ध्यान आकर्षित किया तो दोनांे सज्जनों ने अपनी अपनी निधि से 2-2 लाख रूपये देने की घोषणा की तथा उसकी आधार शिला दोनों महानुभावों के कर कमलों से सन 2010 को रखी गई। दिवार का निमार्ण कार्य श्री राम दरबार प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के बाद शुरू किया गया जो अब पूर्ण होकर मन्दिर धाम की शोभा ब-सज़ाने के साथ दृसाथ सुरक्षा भी प्रदान कर रही हें।
श्री अंजनीलाल मन्दिर धाम के प्रवेश स्थल पर एक भव्य एवं विशाल लाल पत्थर पर नक्काशी से युक्त प्रवेश द्वार बनाया गया है। जिसकी लागत करीब 6 लाख रूपये आई है। इसके लिये श्री मांगीलाल जी गुप्ता भीलवाड़िया वाले ब्यावरा ने अपने पूज्य स्वर्गवासी दादाजी, पिताजी एवं माताजी की स्मृति में 5 लाख की राशि दान मे दी है। भव्य प्रवेशद्वार की आधारशिला राष्ट्रसंत क्रांतिकारी मुनि श्रीतरूण सागरजी महाराज के कर कमलों से 18 दिसम्बर, 2010 को रखी गई थी।
नवनिर्मित श्री राम मन्दिर के चारों ओर स्थित विशाल प्रांगण में नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती सुनन्दा - संजय जगताप की परिषद द्वारा खूबसूरत ब्रिक्स (ब्लाक) लगवाये गये। इससे मन्दिर के शोभा में र्कइंगुना वृद्धि हुई।
भगवान श्री अंजनी लाल मन्दिर धाम पर भगवान व्दादश ज्योतिर्लिगेश्वर महादेव जी का मन्दिर व भगवान श्री राम जी के भव्य, विशाल व दर्शनीय मन्दिर निर्माण एवम प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात ट्रस्ट की आगामी योजना भगवान श्री अंजनी लाल जी के ऐसे मन्दिर निर्माण कि थी कि जिसकी प्रसिद्धी दूर-दूर तक हो जो एक बार दर्शन के लिये आये तो मन्दिर कि छवि उनके मानस पटल पर हमेशा-हमेशा के लिये अंकित हो जाये। उनका मन बार बार दर्शन के लिये लालायित हो तथा वह दुसरो को प्रेरित करे। ट्रस्टियो की भावना को मन्दिर धाम पर विराजित भगवान ने स्वीकार किया तथा उन्होंने सभी ट्रस्टियो व सदस्यों के दिल से एक ही आवाज निकली की मन्दिर तो पूर्ण रूपेण श्वेत मकराना मार्बल से ही बनना चाहिये। योजना व निर्माण कि प्रकिया प्रारम्भ की वास्तुकार से नक्क्षा व बजट का मालूम किया बजट आया करीब चार करोड़ रुपये भगवान ने प्रेरणा दि साहस व सजाया और मीटिंग में इस नक्क्षे को व बजट को पारित किया। अब ये भगवान का चमत्कार ही तो है की जो संस्था 45 वर्ष मात्र 1500 रूपये के निर्माण के लिये बाजार का चक्कर लगाती थी उसने इतने बड़े निर्माण का सहज ही निर्णय ले लिया। मन्दिर ट्रस्ट की हमेशा से यह सोच रही हें कि यहाँ का हर कार्य भगवान स्याम करते है। उनकी हम पर कृपा है कि उन्होंने इस कार्य के लिये हमारा चयन किया। अगली मीटिंग में भूमि पूजन पर चर्चा हुई तब सर्व सम्मति से यह निर्णय हुआ की भूमि पूजन समारोह भी ऐसा होना चाहिये की जा पूरे प्रदेश में क्रीतिमान स्थापित करे। इस समारोह में भूमि पूजन करने के लिये कम से कम 100 दान दाता ऐसे हो जो निर्माण के लिये न्यूनतम एक लाख ग्यारह हजार एक सों ग्यारह रूपये देने की घोषणा करे ट्रस्टियो के प्रयास से व भगवान कि क्रपा से भूमि पूजन समारोह में 100 के स्थान पर 108 दान दाता बेठे। सन 2013 को मन्दिर निर्माण हेतु भूमि पूजन हुआ। वर्तमान में मन्दिर का निर्माण कार्य तीर्व गति से चल रहा है। घोषणा करने वाले दान दाताओ से, मन्दिर पर लगी दान पेटियों से, रसीदों से, आयोजनों से, लोगो की मनोकामनाए पूर्ण होने पर संकल्प पूर्ण करने आदि से प्राप्त दान से निर्माण कार्य चल रहा है। इसमे किसी बड़े आदमी या उद्योगपति का कोई योगदान नहीं है। सभी दान दाता गरीब, निर्धन, या मध्यमवर्गीय है। ट्रस्ट के नियमानुसार जो भी दान दाता 5101 रूपये से अधिक कि राशि दान में देगे उनका नाम संगमरमर कि पट्टिका पर अंकित किया जायेगा। ट्रस्ट परिवार आपको मन्दिर धाम पर पधारने के लिये आमंत्रित करता है तथा इस पुण्य कार्य में तन मन धन से सहयोग देने कि प्रार्थना करता है। दान देने हेतु आप श्री अंजनी लाल मन्दिर ट्रस्ट ब्यावरा के नाम से चेक, ड्राफ्ट, मनीआडर या सीधे बैंक खाते में जमा कर सकते है। मन्दिर पर पधारे, निर्माण कार्य का अवलोकन करे, सभी मन्दिरों के दर्शन कर अपनी मनोकामनाए पूर्ण करे। ये एक ऐसा दरबार है जहा हर व्यक्ति की मनोकामनाये पूर्ण होती है हर संकट व बीमारियाँ दूर होती है इसीलिये भारी तादाद में लोग मन्दिर धाम पर पधारते है। आप भी पधारे।
करीब 45 वर्षो पूर्व कुछ युवकों के मन मे भगवान ने मंदिर बनाने की प्रेरणा दी उन्होंने श्री अंजनीलाल मन्दिर समिति का गठन कर चबूतरे पर एक टीनशेड बनाने का निर्णय लिया। इसके पूर्व तक यह स्थान एक निर्जन, दुर्गम स्थान के रूप मे ही था चारों ओर घना जंगल, मन्दिर के सामने छोटे से तालाब जैसा ग-सज्ढा था जिसमे जहरीले कीड़े एवं सांप, बिच्छु आदि रहते थे। इस ग-सज्-सजे को धीरे-धीरे हजारों ट्राली मलवा डलवाकर भरवाया गया। ए.बी. रोड से मन्दिर तक का रास्ता पूरा वीरान था, बीच-बीच मे तीन-चार स्थानों पर बारिश के मौसम में रास्ते पर कमर-कमर तक पानी भर जाता था उसमे से निकलना मुश्किल होता था। लेकिन सभी के सहयोग से यह निर्जन, वीरान रहने वाला स्थल अब रमणीय स्थल बन गया है।
श्री अंजनीलाल जी के प्रति श्रद्धा तथा स्वेच्छा से जो श्रद्धालुओं का सहयोग दान से ही मंदिर धाम का विकास होता आ रहा है। टीन शेड के बाद छोटा सा आरसीसी की छत वाला मंदिर बना। वर्तमान में ये मंदिर भी भगवान श्री राम जी एवम भगवान द्वादशज्योर्तिलिंगेश्वर महादेव के मन्दिर के समान श्वेत मकराना संगमरमर से भव्य विशाल व दर्शनीय मन्दिर बनने जा रहा है।
नगर वासियों को आध्यात्मिक, धार्मिक माहौल प्रदान करने हेतु श्री अंजनीलाल मंदिर समिति ने सन 1972 से शारदीय नवरात्रि पर्व को महोत्सव के रूप में मनाने की शुरूवात की। नगरवासियों के लिये यह प्रथम अवसर था काफी श्रोता आये तब से आज तक प्रतिवर्ष अश्विन मास मे विशाल नवरात्री (शारदीय) महोत्सव मनाया जा रहा है।
श्री अंजनीलाल जी के मंदिर का निर्माण करने के बाद समिति सदस्यों ने कार्यालय एवं संत निवास के रूप में पहला निर्माण कार्य का संकल्प लिया। इसकी उपयोगिता इसलिये भी जरूरी लगी कि पारायण के लिये -सजोलक, हारमोनियम, फर्श आदि सामान सदस्य गणों के घरों से मांग कर अपने कंधो पर लाते थे तथा जब संत महात्मा पधारते थे तब उनके -सजहरने की व्यवस्था मे एवं सामान रखने में भी मुश्किल आती थी। इसलिए मन्दिर के पास ही एक संत निवास तथा कार्यालय भवन बनाने की रूपरेखा तैयार की। तब सभी सदस्यों की आयु 15 से 20 वर्ष के करीब थी। मन मे उत्साह तथा जोश था इस भवन की नींव खुदाई तथा ईंट जुड़ाई आदि कार्यों में सदस्यों ने मजदूरों के साथ साथ श्रमदान किया। श्री अंजनीलाल जी के मंदिर का निर्माण करने के बाद समिति सदस्यों ने कार्यालय एवं संत निवास के रूप में पहला निर्माण कार्य किया। इसकी उपयोगिता इसलिये भी जरूरी लगी कि पारायण के लिये -सजोलक, हारमोनियम, फर्श आदि सामान सदस्यगण घरों से मांग कर अपने कंधो पर लाते थे तथा जब संत महात्मा पधारते थे तब उनके -सजहरने की व्यवस्था मे एवं सामान रखने में भी मुश्किल आती थी। इसलिए मन्दिर के पास ही एक संत निवास तथा कार्यालय भवन बनाने की रूपरेखा तैयार की। तब सभी सदस्यों की आयु 15 से 20 वर्ष के करीब थी मन मे उत्साह तथा जोश था इस भवन की नींव खुदाई तथा ईंट जुड़ाई आदि कार्यों में सदस्यों ने मजदूरों के साथ साथ श्रमदान किया।
नगर के हृदय स्थल पीपल चैराहा पर जहां हमेशा सघन जन समुदाय रहता है वहां पेयजल की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुऐ पुराने अस्पताल की गेट पर एक सुन्दर श्री रामप्याऊ का निर्माण समिति द्वारा किया गया। वर्तमान मे वाटर कूलर युक्त यह प्याऊ हजारों नागरिकों की प्यास तृप्त कर रही है। पूरे वर्ष नागरिकों को शुद्ध, शीतल पेयजल इस प्याऊ से मिलता है। इस प्याऊ में निरन्तर जल की पूर्ति के लिए तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष श्री कुसुमकान्तजी मित्तल के कार्यकाल में वाटरवक्र्स से मन्दिर तक पाईप लाइन डलवाई गई थी।
भगवान श्रीअंजनीलाल जी की कृपा से जैसे-जैसे लोगों की मनोकामनाऐं पूर्ण होने लगी जटिल से जटिल कष्ट निवारण होने लगे। वैसे-वैसे भण्डारों का दौर तथा पिकनिक गोट आदि होने लगी। इसके लिए संत निवास के पीछे एक सीता रसोई का निमार्ण कराया तथा न्यूनतम शुल्क पर बर्तन आदि की व्यवस्था प्रारम्भ की।
संत निवास के निर्माण कार्य के बाद मन्दिर पर एक प्याऊ का निर्माण कराया गया। उपस्थित विशाल जन समूह की प्यास की तृप्ती हेतु एक प्याऊ अति आवश्यक थी तब नगर के प्रतिष्ठित व्यवसायी श्री बालचन्द जी पालीवाल (सुठालिया वाले) के सहयोग से प्याऊ बनवाई गई।
अगले चरण में मंदिर धाम पर विश्राम गृह का निर्माण किया गया। भगवान श्री अंजनीलालजी के चमत्कार से मालवा क्षेत्र वासी परिचित हुए कई लोगों की मनोकामना पूर्ण होने लगी। मन्दिर पर भूत पे्रत बाधाओं से ग्रस्त आदि आने लगे जिस के कारण प्रति मंगलवार एवं शनिवार मेला जैसा लगने लगा। प्रसिद्धि ब-सज़ने लगी लोगों को फायदा होने लगा। पे्रत बाधाओं से लोग मुक्त होने लगे। तब देश के कोने-कोने से भक्तजन आने लगे। तब उनके ठहरने के लिये एक विश्रामगृह का निर्माण कराया गया जो शिवालय के सामने स्थित है।
जैसे-जैसे नवरात्री महोत्सव के माध्यम से नागरिकों में धर्म के प्रति जिज्ञासा एवं आकर्षण ब-सज़ने लगा वैसे-वैसे प्रसिद्ध संत विद्वान आने लगे। उनके प्रवचनों हेतु हर समय स्थान उपलब्ध हो इस हेतु एक टीनशेड वाला सत्संग हाल बनाने का नि र्णय लिया, लेकिन भगवान श्री अंजनीलाल जी की कृपा से टीनशेड वाला सत्संग हाल बनते-बनते 100 गुणा 30 फुट का भव्य एवं सुंदर आरसीसी का हाल बना जिसमे करीब 3000 श्रोता आराम से बैठ कर सत्संग आनंद ले सकते है। इस हाल के साथ ही विद्वानों के आवास व्यवस्था हेतु सर्व सुविधायुक्त 3 कमरों भी निर्माण कराया गया। इसका भूमि पूजन स्व. श्री माता दीन जी वैध कि धर्म पत्नि व नगर के समाज सेवक डाॅ कैलाश चन्द्र जी मिश्रा की दादी माँ स्व. श्रीमति भंवरी बाई के कर कमलों से हुआ।
नगर एवं क्षैत्र वासियों की सुविधा हेतु प्रांगण एवं सत्संग भवन, अन्य कार्यक्रमांे जैसे शादी-विवाह, सामुहिक विवाह, समाज एवं राजनैतिक पार्टीयों की मिटिंग आदि हेतु न्यूनतम शुल्क पर दिया जाने लगा तब यह स्थान भी कम पड़ने लगे। इसलिये सत्संग भवन के ऊपर एक सामुदायिक भवन की आवश्यकता होने लगी। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजयसिंह जी ने समिति की मांग पर एक लाख रूपये कि सहयोग राशि स्वीकृत की। तथा इसका भूमि पूजन किया। इस सामुदायिक भवन को भव्यता एवं विशालता प्रदान करने मे तत्कालीन सांसद श्री लक्ष्मण सिंह जी ने दो लाख रूपये, सांसद श्री नारायण सिंह जी आमलाबे ने तीन लाख रूपये सत्संग भवन के लिये अपनी-अपनी सांसद निधि से दिये। तत्कालीन विधायक श्री बद्रीलाल जी यादव, श्री बलरामसिंहजी गुर्जरए, श्री पुरुषोत्तम जी दांगी ने भी अपनी अपनी विधायक निधि से दो-दो लाख रूपये कि राशि प्रदान कर सहयोग दिया तथा शेष राशि ट्रस्ट कोष से व्यय कर निर्मित ये सामुदायिक भवन सत्संग भवन के ऊपर मन्दिर धाम की शोभा ब-सज़ाते हुऐ नगर वासियों के लिये काम आ रहा है, इसमे सर्व सुविधा युक्त 9 कमरे तथा एक विशाल हाल है।
मंदिर पर आयोजनों की संख्या ब-सज़ने पर तथा विशाल सामूहिक विवाह एवं अन्य आयोजन होने पर एक और विशाल रसोई घर की आवश्यकता महसूस होने लगी। सत्संग भवन के समीप एक विशाल श्री रामप्रसादालय (रसोई घर) का निमार्ण कार्य कराया गया तथा बर्तन, गैस भट्टी, फर्श, कुर्सियां, जनरेटर आदि की व्यवस्था कराई गई वर्तमान मे करीब दस हजार व्यक्तियो की क्षमता धारक सामग्री उपलब्ध है।
नगर मे बहुतायत से गौमाता दयनीय स्थिति मे विचरण करती रहती थी अतः ट्रस्ट परिवार ने अनाथ, गौमाता की सेवा करने के उद्देश्य से गौशाला का प्रा रंभ किया। ट्रस्ट परिवार इसको संचालित करने के लिए शासन के किसी मद से कोई आर्थिक सहायता नही लेता है। समस्त खर्च मंदिर ट्रस्ट के कोष से ही किया जाता है।
ट्रस्ट द्वारा कई रोग परीक्षण शिविर जैसे बालरोग, नाक, कान, गला रोग, अस्थिरोग, क्षय रोग, केंसर रोग विश्वप्रसिद्ध एस्कार्ट हाॅस्पिटल नईदिल्ली के माध्यम से विशाल हृदय रोग शिविर का आयोजन किया जा चुका है। प्रतिवर्ष विशाल नैत्र शिविर का आयोजन भी किया जाता था। इन शिविरों में एक दिन में करीब 1500-2000 तक नैत्र रोगियों का परिक्षण किया जाता था। इनमे से करीब 600 नैत्र रोगियों का सफल आपरेशन मंदिर प्रांगण पर ही अस्थायी आपरेशन रूम बनाकर कराये गयेे। इन शिविरों में रोगियों की सुविधा के लिये एक अस्पताल रूपी भवन की आश्यकता महसूस की गई। एक नैत्र शिविर के शुभारम्भ समारोह में पधारे नवभारत समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक श्री प्रफुल्ल कुमार जी माहेश्वरी पधारे तो उन्होंने रोगियों की परेशानी देखी कुछ दिनों बाद भगवान कि कृपा से वे राज्य सभा के सांसद बने तब उन्होंने अपनी सांसद निधी से 5 लाख रूपये राशि प्रदान कर आरोग्य भवन का भूमि पूजन किया। आज भगवान श्री अंजनीलालजी की कृपा से यह भवन सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित क्षेत्रवासियों के रोग निदान के प्रयोजन के काम आ रहा है। इस भवन में 9 कक्ष तथा 2 बड़े हाॅल हैं। जिसमें अब प्रतिमाह के द्वितीय बुधवार को नेत्र शिविर का आयोजन किया जाता है, तथा प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से पतांजली योग के अंतर्गत योगा एवं प्राणायम किया जाता है। जिसमें बहुत से लोग शामिल होकर स्वास्थ लाभ ले रहे हैं।
श्री अंजनीलाल मंदिर ट्रस्ट परिवार का यह संकल्प था कि मन्दिर धाम पर जो भी शिवालय बने वो भव्य, विशाल दर्शनीय एवं अद्वितीय हो इसके लिये निर्णय लिया कि शिवालय को विशाल शिवलिंग के आकार का बनवाया जावे तथा उसमे स्थापित शिवलिंग मे द्वादश ज्योर्तिलिंगों का समावेश हो ताकि दर्शन पूजा, अर्चना, अभिषेक आदि में भक्तजनों को बारह ज्योर्तिलिगों का लाभ प्राप्त हो। इस तरह का शिवालय उस समय तक दुनिया में कही पर भी नहीं बनाया गया था। शिवालय बनने के बाद शिवालय के चारों ओर के प्रांगण में तात्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष डाॅ भारत वर्मा की परिषद द्वारा सी.सी. कार्य कराया गया। शिवालय में प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात प्रतिदिन भगवान का अभिषेक जन साधारण के लिये प्रातः 6 बजे से किया जाता है। इसमें कोई भी नागरिक भाग ले सकता है। ## शिवालय का भूमि चयन चमत्कारिक घटना... मन्दिर ट्रस्ट को भगवान ने एक विशाल शिवालय निर्माण की प्रेरणा दी। ट्रस्ट ने निर्णय लिया कि भगवान श्री अंजनीलाल जी मन्दिर के सामने स्थित विशाल खाई वाले स्थान पर शिवालय बनाया जाये। इस हेतु उस विशाल खाई की पूर्ति हेतु उसमे हजारों ट्राली मिट्टी डालकर उसकी पूर्ति कराई गई। इस बीच सन् 1987 मे आयोजित नवरात्री महोत्सव में परम पूज्य धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज के उत्तराधिकारी शिष्य पूज्य डाॅ. लक्ष्मण चेतन्य बह्मचारी जी महाराज का आगमन हुआ। वे भगवान शिवजी के अनन्य भक्त थे। उन्होंने प्रातः प्रतिदिन भगवान शिव का अभिषेक करने की बात कही। महाराज श्री ने प्रातः 5 बजे अभिषेक करने हेतु जनसामान्य को आमंत्रित किया तो सभी को लगा कि इतनी जल्दी उठकर कुछ ही लोग आ पायेंगे। लेकिन जब श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी तो सभी आश्चर्य चकित रह गये। उनसे अभिषेक स्थल के चयन के विषय में चर्चा की तो स्वतः एक स्थान पर उनके चरण रूक गये और उन्होंने कहा कि यह शिवालय के लिये उपयुक्त स्थान है। इसी जगह आप लोगों को शिवालय निर्मिंत कराना चाहियें तब ट्रस्ट परिवार ने निवेदन किया कि शिवालय का स्थान पूर्व में ट्रस्ट ने अंजनी लाल जी के सामने निर्धारित कर रखा है और इसीलिये इस विशाल खाई को भरवाया गया है। तब महाराज श्री ने कहा कि यहाॅ तो अंजनी लाल जी की इच्छा अपने स्वामी भगवान श्री राम को विराजमान कराने की है। अतः आप यही पर शिवालय का निर्माण करावे। मंदिर ट्रस्ट परिवार ने उनके आदेश को मानकर महाराज श्री के कर कमलों से शिवालय का भूमी पूजन सम्पन्न कराया।
नवनिर्मित श्रीराम मन्दिर एवं आरोग्य भवन के मध्य पुष्प वाटिका के अधिकाश भाग का उपयोग श्री राम मन्दिर मे हो जाने के कारण पुनः स्थल की शोभा ब-सज़ाने तथा श्रृदालुओं को आत्मीय शांति प्रदान करने हेतु तात्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष श्री राधा कृष्ण जी बड़ोने के कार्य काल मे श्री अंजनीलाल उद्यान को विकसित किया गया। जिसमे प्राकृतिक छटा लिये हुए जल प्रपात तथा बास एवं लकड़ी सी लगने वाली सीमेंट की जाली मन को आकर्षित करती है।
भगवान श्री अंजनीलाल मन्दिर के सामने श्रीराम मन्दिर का भूमि पूजन क्षैत्र के प्रसिद्ध संत परम पूज्य श्री सीताराम दासजी महाराज कोडक्या वालों के कर कमलों से सम्पन्न हुआ। इसका शुरू में अनुमानित व्यय करीब 20 लाख रूपये माना गया था। लेकिन श्री अंजनीलालजी को अपने स्वामी भगवान श्रीरामजी को कोई साधारण मन्दिर मे विराजमान नही कराना था। वे ट्रस्ट परिवार को पे्ररणा देते रहे, मन्दिर उन्ही की इच्छा अनुरूप बनता गया। जहां प्रारंभ में पूरे मंदिर का बजट 20 लाख था किंतु उस मन्दिर मे मकराना मार्बल हस्त कला की घड़ाई की श्रृंगार सामग्री तोरण, सिंहासन, मेहराब, स्तम्भ आदि की लागत ही करीब 25 लाख से अधिक की आई है। पूरा मन्दिर मकराना मार्बल से बना है। कांच का खूबसूरत कार्य, विद्युत साज-सज्जा से सुसज्जजित यह मंदिर भगवान श्रीराम का राजमहल लगता है। पूरा मन्दिर बाहर से दक्षिण भारत कला का जीता जागता उदाहरण है।
श्री अंजनीलाल मन्दिर धाम पुण्य सलिला अजनार नदी के तट पर स्थित है। वर्षा काल मे नदी के प्रवाह एवं बा-सज़ से दिनों दिन भूमि क्षरण हो रही थी इसे रोकने के लिऐ प्रशासन एवं जनसहयोग से करीब 10 लाख की लागत से एक तट रक्षक दिवार का निर्माण कार्य कराया गया। यह कार्य दो चरणों में हुआ। 5 लाख रूपये तत्कालीन कलेक्टर श्री जी.पी. तिवारी ने स्वीकृत किये और पुनः 5 लाख रूपये उनके बाद आये तत्कालीन कलेक्टर श्री शिवानन्द दुबे ने स्वीकृत किये। तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष श्री राधा कृष्ण जी बड़ोने के कार्यकाल में उक्त तट रक्षक दीवार का निर्माण नगर पालिका के माध्यम से कराया गया। इसके साथ ही समीप में नया और बड़े आकार का घाट निर्माण कराया गया। जिसमें मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों के साथ ही विधायक श्री पुरूषोत्तम जी दांगी ने भी व्यक्तिगत व विधायक निधि से सहयोग दिया। नदी किनारे दीवार बनने के बाद नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सुनंदा जगताप के सहयोग से यहां एक मैदान विकसित किया गया। जिसमें भविष्य में ऐसी योजना है कि दर्शनार्थीयों को नदी किनारे रमणीय स्थान का अनुभव हो।
श्रीअंजनीलाल मन्दिर धाम के चारों और बाउन्ड्रीवाल न होने से मंदिर धाम की सम्पति की सुरक्षा नहीं हो पा रही है। इसके लिये जब ट्रस्ट परिवार ने क्षैत्र के सांसद श्री नारायणसिंह जी आमलाबे एवं ब्यावरा क्षैत्र के विधायक श्री पुरषोत्तम दांगी का ध्यान आकर्षित किया तो दोनांे सज्जनों ने अपनी अपनी निधि से 2-2 लाख रूपये देने की घोषणा की तथा उसकी आधार शिला दोनों महानुभावों के कर कमलों से सन 2010 को रखी गई। दिवार का निमार्ण कार्य श्री राम दरबार प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के बाद शुरू किया गया जो अब पूर्ण होकर मन्दिर धाम की शोभा ब-सज़ाने के साथ दृसाथ सुरक्षा भी प्रदान कर रही हें।
श्री अंजनीलाल मन्दिर धाम के प्रवेश स्थल पर एक भव्य एवं विशाल लाल पत्थर पर नक्काशी से युक्त प्रवेश द्वार बनाया गया है। जिसकी लागत करीब 6 लाख रूपये आई है। इसके लिये श्री मांगीलाल जी गुप्ता भीलवाड़िया वाले ब्यावरा ने अपने पूज्य स्वर्गवासी दादाजी, पिताजी एवं माताजी की स्मृति में 5 लाख की राशि दान मे दी है। भव्य प्रवेशद्वार की आधारशिला राष्ट्रसंत क्रांतिकारी मुनि श्रीतरूण सागरजी महाराज के कर कमलों से 18 दिसम्बर, 2010 को रखी गई थी।
नवनिर्मित श्री राम मन्दिर के चारों ओर स्थित विशाल प्रांगण में नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती सुनन्दा - संजय जगताप की परिषद द्वारा खूबसूरत ब्रिक्स (ब्लाक) लगवाये गये। इससे मन्दिर के शोभा में र्कइंगुना वृद्धि हुई।
भगवान श्री अंजनी लाल मन्दिर धाम पर भगवान व्दादश ज्योतिर्लिगेश्वर महादेव जी का मन्दिर व भगवान श्री राम जी के भव्य, विशाल व दर्शनीय मन्दिर निर्माण एवम प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात ट्रस्ट की आगामी योजना भगवान श्री अंजनी लाल जी के ऐसे मन्दिर निर्माण कि थी कि जिसकी प्रसिद्धी दूर-दूर तक हो जो एक बार दर्शन के लिये आये तो मन्दिर कि छवि उनके मानस पटल पर हमेशा-हमेशा के लिये अंकित हो जाये। उनका मन बार बार दर्शन के लिये लालायित हो तथा वह दुसरो को प्रेरित करे। ट्रस्टियो की भावना को मन्दिर धाम पर विराजित भगवान ने स्वीकार किया तथा उन्होंने सभी ट्रस्टियो व सदस्यों के दिल से एक ही आवाज निकली की मन्दिर तो पूर्ण रूपेण श्वेत मकराना मार्बल से ही बनना चाहिये। योजना व निर्माण कि प्रकिया प्रारम्भ की वास्तुकार से नक्क्षा व बजट का मालूम किया बजट आया करीब चार करोड़ रुपये भगवान ने प्रेरणा दि साहस व सजाया और मीटिंग में इस नक्क्षे को व बजट को पारित किया। अब ये भगवान का चमत्कार ही तो है की जो संस्था 45 वर्ष मात्र 1500 रूपये के निर्माण के लिये बाजार का चक्कर लगाती थी उसने इतने बड़े निर्माण का सहज ही निर्णय ले लिया। मन्दिर ट्रस्ट की हमेशा से यह सोच रही हें कि यहाँ का हर कार्य भगवान स्याम करते है। उनकी हम पर कृपा है कि उन्होंने इस कार्य के लिये हमारा चयन किया। अगली मीटिंग में भूमि पूजन पर चर्चा हुई तब सर्व सम्मति से यह निर्णय हुआ की भूमि पूजन समारोह भी ऐसा होना चाहिये की जा पूरे प्रदेश में क्रीतिमान स्थापित करे। इस समारोह में भूमि पूजन करने के लिये कम से कम 100 दान दाता ऐसे हो जो निर्माण के लिये न्यूनतम एक लाख ग्यारह हजार एक सों ग्यारह रूपये देने की घोषणा करे ट्रस्टियो के प्रयास से व भगवान कि क्रपा से भूमि पूजन समारोह में 100 के स्थान पर 108 दान दाता बेठे। सन 2013 को मन्दिर निर्माण हेतु भूमि पूजन हुआ। वर्तमान में मन्दिर का निर्माण कार्य तीर्व गति से चल रहा है। घोषणा करने वाले दान दाताओ से, मन्दिर पर लगी दान पेटियों से, रसीदों से, आयोजनों से, लोगो की मनोकामनाए पूर्ण होने पर संकल्प पूर्ण करने आदि से प्राप्त दान से निर्माण कार्य चल रहा है। इसमे किसी बड़े आदमी या उद्योगपति का कोई योगदान नहीं है। सभी दान दाता गरीब, निर्धन, या मध्यमवर्गीय है। ट्रस्ट के नियमानुसार जो भी दान दाता 5101 रूपये से अधिक कि राशि दान में देगे उनका नाम संगमरमर कि पट्टिका पर अंकित किया जायेगा। ट्रस्ट परिवार आपको मन्दिर धाम पर पधारने के लिये आमंत्रित करता है तथा इस पुण्य कार्य में तन मन धन से सहयोग देने कि प्रार्थना करता है। दान देने हेतु आप श्री अंजनी लाल मन्दिर ट्रस्ट ब्यावरा के नाम से चेक, ड्राफ्ट, मनीआडर या सीधे बैंक खाते में जमा कर सकते है। मन्दिर पर पधारे, निर्माण कार्य का अवलोकन करे, सभी मन्दिरों के दर्शन कर अपनी मनोकामनाए पूर्ण करे। ये एक ऐसा दरबार है जहा हर व्यक्ति की मनोकामनाये पूर्ण होती है हर संकट व बीमारियाँ दूर होती है इसीलिये भारी तादाद में लोग मन्दिर धाम पर पधारते है। आप भी पधारे।