श्री व्दादशज्योतिर्लिगेश्वर महादेव मंदिर
|| ॐ नमः शिवाय ||

बारह ज्योतिर्लिंगों के सामान श्री व्दादशज्योतिर्लिगेश्वर महादेव

सौरास्त्रे सोमनाथं श्रीशैलम मल्लिकार्जुनम | उज्जयिनायनां महाकालमोनकरम् ममलेश्वरम || पारल्यानां वैजनाथं च दुक्ज्ञानं भीमशंकरम् | सेतुबंधे तु रमेशम् नागेशं दारुकावने || वरणस्यम् तु विश्वेशम् त्र्यम्बकम् गौतमी तत | हिमालय तु केदारं धृष्णेश च शिवालय || सुबह पथीनर में एठानी ज्योतिर्लिंगनी सप्तनामजन्मत्तमं पापं स्मरं विष्णति || || इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति सम्पूर्णम ||

भगवान अंजनी लाल जी के मन्दिर के निर्माण के बाद भगवान श्री अंजनी लाल जी ने मन्दिर परिसर मे एक शिवालय निर्माण की प्रेरणा दी। समिति सदस्यों ने विचार कर निर्णय लिया कि भगवान श्री अंजनी लाल जी के मन्दिर के सामने स्थित एक बडी झील के मध्य एक छोटा सा जल मन्दिर (शिवालय) का निर्माण कराया जाय। निर्माण मे सबसे बड़ी समस्या वो झील थी क्योकि झील आकार मे विशाल तथा बहुत गहरी थी उसमे हजारो की संख्या में जहरीले साँप, बिच्छु एवम जीव जंतु थे। लेकिन भगवान को शिवालय तो अन्य स्थान पर बनवाना था इसलिये उन्होंने विश्व के महान धर्म सम्राट स्वामी श्री करपात्री जी महाराज के उत्तराधिकारी शिष्य धर्म सम्राट स्वामी चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज को अपने राजसी वैभव के साथ नवरात्री महोत्सव मे प्रवचन हेतु पधारने की स्वीकृति प्रधान कराई। महाराज जी नियत समय पर अपने लाव लश्कर के साथ मन्दिर धाम पर पधारे जैसे ही उन्होंने जमीन पर पैर रखा। उन्हें एक झटका सा महसूस हुआ तभी उन्होंने वहाँ स्वागत के लिये उपस्थित सदस्यों से कहा की ये तो पावन धरती है। यह स्थान तो पहले संत महात्माओ की तपोस्थली रहा है, हम भी यहाँ प्रवचन के साथ-साथ स्फटिक, पारद, नीलम मणि आदि बहुमूल्य रत्नों से निर्मित शिव लिंगो का अभिषेक करेगे। स्वामी जी महाराज ने अभिषेक का समय प्रातरू 5 बजे रखा समिति सदस्यों ने सोचा कि इतनी सुबह कौन आयेगा। लेकिन भगवान की कृपा एवम् महाराज श्री की सिद्धि की विजय हुई।

पहले दिन ही करीब 100 भाई बहन आये उसके बाद तीर्व गति से संख्या बड़ी, एक दो दिन के बाद तो ऐसी स्थिति बनी की सैकड़ो की संख्या मे भक्तजन उचित स्थान पाने के लिये स्नान कर रात्रि 3 बजे से ही अभिषेक स्थल आकर बैठ जाते थे। ताकि अभिषेक के अच्छे से दर्शन हो सके। समिति सदस्यों ने ऐसी महान विभूति से शिवालय निर्माण हेतु स्थान चयन करने का निवेदन किया। धर्म सम्राट स्वामी जी ने भगवान श्री अंजनी लाल जी के पास का स्थान बताया। उसी स्थान पर पूज्य स्वामी जी के कर कमलो से नवरात्री के पावन पर्व पर भूमि पूजन कराकर शीघ्र निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया। करीब 5 वर्ष में मन्दिर का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। सन् 2003 को महा शिवरात्रि के पावन पर्व पर विशाल स्तर पर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया गया। जिसमे हजारो नागरिको के समक्ष होने वाले चमत्कारो का वर्णन क्रम से करना भी आवश्यक है।

प्राण प्रतिष्टा महोत्सव में हुऐ चमत्कारो मे से कुछ निम्न है:

  • भगवान् व्दादशज्योतिर्लिगेश्वर महादेव मंदिर के शिखर एक शिवलिंग के आकार का है। जिस पर एक विशाल नाग का फन छाया किये हुऐ है। उस पर मधु मक्खियो के विशाल 6 छत्ते थे। सभी ट्रस्टी रात तक फिक्र करते रहे कि सुबह कैसे शिखर पर कलश एवम् ध्वज चवायेगे, लेकिन ऐसा चमत्कार हुआ कि सुबह सभी 6 छत्तो की मधु मक्खियाँ वहाँ से उड चुकी थी।
  • शिव लिंग 5 फिट ऊँचा एक ही शिला का बना हुआ है। जो बहुत भारी थे, उन्हे देख कर फिक्र हो रही थी कि कैसे इन्हे नगर मे निकलने वाली शोभा यात्रा मे ले जायेंगे और कैसे मन्दिर मे विराजमान करेगे लेकिन स्वतरू एक मुस्लिम परिवार के नवयुवको ने इस सेवा को स्वीकार किया तथा इस कार्य को खुशी खुशी पूर्ण किया।
  • प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दिन करीब एक लाख पचास हजार माता, बहन एवम् भाइयो ने महा प्रसादी (भोजन) ग्रहण की लेकिन कही भी नाम मात्र भी अशांति, सामग्री का अभाव, गंदगी, परोसगारी एवं स्वागत मे कमी देखने को नहीं मिली। उस दिन नगर एवम् आस पास के ग्रामो में किसी के घर मे भी भोजन नहीं बना था सबने मन्दिर पर ही प्रसादी ग्रहण की थी।
  • बून्दी (नुकति) की मिठाई की कमी प्रारम्भ के तीन घण्टो में ही महसूस होने लगी थी, भगवान से लाज रखने की प्रार्थना की तो ऐसा चमत्कार हुआ कि खूब परोसने पर भी बूंदी मे कोई कमी दिखाई नहीं दे रही थी। दूसरे दिन मन्दिर पर आने वाले हर दर्शनार्थीओ को खूब प्रसादी दी गई । तीसरे दिन नगर के प्रत्येक स्कूलो में डिब्बे भर-भर के बूंदी का प्रसाद वितरित किया तब जाकर बूंदी खत्म हुई।
  • प्राण प्रतिष्ठा के दिन सुबह से रात तक बादल छाये रहे सारे दिन बहुत बारीक फुहार जैसी कूलर से होती है होती रही लेकिन जमीन सुखी ही रही। अप्रैल माह में इतनी ठंडाई होना एक चमत्कार ही है।
  • इस दिन सभी नेता, जनप्रतिनिधि, व्यापारी, श्रमिक, किसान, बडा, छोटा, अमीर, गरीब, हिन्दू, मुस्लिम, सिख सभी अपना काम छोड कर इस तरह सेवा में लगे थे जैसे उनके घर का ही काम हो।

भगवान ज्योतिलिंगेश्वर महादेव मन्दिर की बारह विशेषताए है जो अन्य कही एक ही स्थान में मिलनी असम्भव है

  • मन्दिर का आकार शिव लिंग का है। जिस की ऊँचाई करीब 50 फीट और व्यास 30 फीट है।
  • इस शिव लिंग के चारो ओर करीब 200 फीट लम्बा नाग लिपटा है, जिसका फन 25 फीट चैड़ा है।
  • मंदिर मे विराजमान शिव लिंग जो काले संगमरमर कि एक ही शिला से बना है, उस पर प्राकर्तिक ॐ की आकृति बनी हुई है, जो अन्यत्र दुर्लभ है।
  • शिवालय की अन्दर दीवारो पर लगे संगमरमर पर प्राकर्तिक रूप से शिव लिंग, मृगछाला एवम् हाथ से प्रणाम करने की आकृतियाँ बनी है जो अन्यत्र दुर्लभ है।
  • मन्दिर का शिखर जो करीब 30 फीट ऊँचा और 20 फीट व्यास का है, वह बिना बीम की छत पर स्थित है।
  • मन्दिर मे अन्दर ॐ नमरू शिवाय बोलने पर इसी शब्द की प्रतिध्वनि सुनाई देती है।
  • मन्दिर के अन्दर कैलाश पर्वत की आकृति बनी हुई है। जिस पर भोले शंकर विराजमान है उनकी जटा से गंगा (जल-धारा) निकलती है।
  • 30 फीट व्यास के मन्दिर में एक भी कालम दिखाई नहीं देता है।
  • मन्दिर में बने कैलाश पर्वत से निकलने वाले रने एवम् गुफाएँ दर्शनीय है। जिनमे वास्तविकता के दर्शन होते है।
  • मन्दिर मे विराजमान शिव लिंग में बारह ज्योतिलिंगो की आकृति समाविष्ट है। इस प्रकार के शिव लिंग पूरे देश में गिनती के ही है। जिनके दर्शन पुण्य दायक होते है।
  • पूरे मन्दिर की दीवारो पर बाहर एवम् अंदर उत्कृष्ट श्वेत मकराना संगमरमर लगा है, जो चाँदनी रात चाँदी के समान चमकता है।
  • मन्दिर मे स्थित शिव लिंग मे बारह ज्योतिर्लिंग समाविष्ट है।

मन्दिर मे स्थित शिव लिंग मे बारह ज्योतिर्लिंग समाविष्ट है। उनकी पूजन, अर्चन एवम् अभिषेक से बारह ज्योतिर्लिंग की पूजा, अर्चना एवम् अभिषेक करने का पुण्य प्राप्त होता है। भगवान द्वादश ज्योतिलिंगश्वर महादेव जी का अभिषेक पूरे वर्ष प्रति दिन प्रातरू 6 बजे से किया जाता है। जिस किसी भक्त को अभिषेक करना होता है, वे मन्दिर धाम स्थित कार्यालय पर जाकर सम्पर्क कर सकते है, और अभिषेक की सामग्री की सूची ले सकते है, ये सामग्री आप स्वयं ला सकते है या सामग्री की राशि जमा कर अपना नाम पंजीयन करा सकते है। अभिषेक के लिये आप को सपरिवार प्रातरू 5.30 भारतीय वेशभूषा मे उपस्थित होना है। वहा आचार्यो का दल आपसे पूरे विधिविधान से अभिषेक करायेगे।