श्री अंजनीलाल जी की आरती

श्री अंजनीलाल जी की आरती

आरती केसरीनंदन की

आरती केसरीनंदन की अंजनीसुत जग बंदन की आप है ब्रज गदाधारी, बाल ब्रह्मचारी व्रतधारी…

राम के दूत कहते हो, राम के मन को भाते हो, रमा है रोम रोम में राम, बसा है मन में सीता राम बसा है…

अतुल बलधाम, कर्म निष्काम, भजन सियाराम हृदय भक्ति रघुनंदन की, कि रघुकुम दशरथ नंदन कि। आरती…

सिंधु एक क्षण में पर किया, जला लंका सुधि लाये सिया आप ही लाये संजीवन को, पछाड़ा दुष्ट अहिरावण को कहे प्रभु महावीर तुम हो, भरत सम प्यारे मम तुम हो, भरत सम…

धरे मन धीर, भजे बलवीर, मिटे सब पीर कटे डोरी जग बंधन की, मुक्ति हो जननी जन की। आरती…

तुम्हारी शरण जो आते है, अभय वो सब हो जाते है प्रेत डरते है आने से, आपका नाम सुनाने से, आप ही से मंगल दाता, सकल जग इच्छा फल पता, सकल जग पाप घट जाये, दुःख मिट जाये, बंध कट जाये, करे जो सेवा चरणन की, कि बजरंग वायु नन्दन की। आरती…

पूज्य सब के संसार में हो, रूद्र अवतार ग्यारहवे हो विभीषण सम उपकार करो, मुझे भवसागर पार करो हरो संकट अंतर्यामी, मिला दो प्रभु से है स्वामी, मिला दो…

संभालो भाग, मिटे मम राग, बाड़े वैराग्य भक्ति हो असुर निकंदन की, कि रघुवर रघुकुल भूषण की आरती केसरी नन्दन की, कि अंजनी सूत जग बंदन की।