दर्शन
हर साल की तरह इस साल भी हम मंदिर परिसर में स्कूल और कॉलेजों के छात्रों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रहे हैं। हम आपसे चाहेंगे कि इस आयोजन को और अधिक सफल बनाने के लिए बड़ी संख्या में शामिल हों।
प्रति वर्ष श्री अंजनी लाल मन्दिर धाम पर सन १९७२ से निरन्तर आश्विन शुक्ल 1 से अश्विन शुक्ल 9 तक विशाल स्तर पर नवरात्री महोत्सव मनाया जाता है। इसके प्रथम दिन प्रात: ५ बजे से नगर में प्रभात फेरी निकाली जाती है जिसमे काफी तादाद में भक्त जन भजन गाते हुए नगर के प्रमुख मार्गो से निकलते है। यह प्रभात फेरी पुन: मन्दिर धाम पर आती है इसके पश्चात मन्दिर धाम पर धट स्थापना व नों दिवसीय अखण्ड रामायण पाठ का शुभारम्भ किया जाता है। भगवान श्री अंजनी लाल जी का दर्शनीय अभिषेक किया जाता है जो प्रति दिन प्रात: होता है।
सन 1972 से 2001 तक प्रति दिन रात्रि में प्रवचनो का कार्यक्रम होता था। इसमे नगर वासियों को आध्यात्मिक, धार्मिक माहौल प्रदान करने हेतु श्री अंजनीलाल मंदिर समिति ने सन 1972 से शारदीय नवरात्रि पर्व को महोत्सव के रूप में मनाने की शुरूवात की। मंदिर समिति के सदस्य श्री मोहन बजाज, श्री दिलीप बजाज के पिता स्व. श्री बद्री लाल जी बजाज के सुझाव पर श्री नरोत्तम दास जी बकानी वाले के संगीत युक्त प्रवचन का आयोजन रखा गया। नगरवासियों के लिये यह प्रथम अवसर था।काफी श्रोता आये तब से आज तक प्रतिवर्ष अश्विन मास मे विशाल नवरात्री (शारदीय) महोत्सव मनाया जा रहा है। इस महोत्सव मे सन 1972 से 2001 तक रात्री मे 8 से 1 बजे तक प्रवचन होते थे। नवरात्री महोत्सव एवं अन्य कार्यक्रमों में देश के प्रतिष्टित एवं प्रसिद्ध विद्वानों को आमंत्रित किया जाता था। प्रत्येक को 45 मिनिट से 1 घण्टे प्रवचन का समय प्राप्त होता था।
मंदिर परिसर पर प्रतिवर्ष आयोजित नवरात्रि महोत्सव में कईं विद्वानों, संत महात्माओं का आगमन हुआ। भगवान श्री अंजनीलाल जी की सिद्ध प्रतिमा और तपस्वी संत महात्माओं की चरण रज से मंदिर धाम की ख्याति आज धार्मिक, सामाजिक क्षेत्र में अपना विशेष स्थान रखती है। शुरू से लेकर आज तक इन विद्वानों के आगमन से सभी क्षेत्र वासी लाभान्वित हो रहे है। इनमें मुख्य रूप से
आदि संत महात्माओं के साथ मानस के प्रसिद्ध प्रवक्ता पं. श्यामाचरणजी शास्त्री शाजापुर, पं. पारसनाथजी त्रिपाठी वाराणासी, पं. रमा कान्त जी मिश्र बनारस, पं. इन्द्रभूषणजी महाराज वृंदावन, मानस मुदुलजी महाराज भोपाल, पूज्य कोकिलजी महाराज गुना, पूज्य श्री अविरामदासजी जूनागढ़, स्वामी परमानंदजी महाराज, अखण्ड परमधाम हरिद्वार, स्वामी अंगदशरणजी महाराज कानपुर, पूज्य भगवानजी बापू उज्जैन, पंचखंड पीठाधीशरण आचार्य श्री धर्मेन्द्रजी महाराज जयपुर, पूज्य श्री लक्ष्मणाचार्य जी महाराज मिर्जापुर, पूज्य लक्ष्मणजी बापू फेजाबाद, पूज्य महेशकुमार जी मिश्रा भोपाल, पूज्य स्वामी निर्गुणजी महाराज अमरावती, पूज्य सुश्री नीलम गायत्रीजी मऊरानीपुर, पूज्य पारसमणीजी मऊरानीपुर, श्रीराघव ऋषिजी महाराज, वाराणासी श्री रामनाराणाचार्यजी मिर्जापुर, श्री रामदरबार गायकवन्धु मुजफ्फरपुर, श्री राजेश्वरानंद जी रामायणी जालोद, सुश्री रश्मिभारती मानस सुधा, सुश्री शिवासरस्वतीजी कोटा, पूज्य रामनिवासाचार्य जी महाराज सबलगढ़, पूज्य श्री सुरेशचन्दजी शर्मा नईदिल्ली आदि कईं प्रवचनकार विभिन्न अवसरों पर प्रांगण में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों के अंतर्गत विशेष रूप से पधार चुके है ।
इसके बाद समय के अनुसार कार्यक्रमो यह परिवर्तन आया कि नगर में माँ दुर्गा जी की झाकिया नगर व ग्रामीण अंचलो में भी जगह-जगह सजने लगी फलस्वरूप प्रवचनों में श्रोताओं कि संख्या में तेजी से कमी होने लगी इस कारण ट्रस्ट ने कार्यक्रममें परिवर्तन करने का निर्णय लिया अत: 2002 में जम्मु (कटरा) स्थित माँ वैष्णो देवी मन्दिर धाम की छवि लिये पहाड़ों व गुफाओं युक्त करीब 1000 फीट लम्बी झाकी बनवाई गई योजना सफल रही पुरे मालवा क्षेत्र से हजारो कि संख्या में दर्शनार्थी पधारे अत: 2003 में भी इससे भी विशाल माँ वैष्णो देवी कि झाकी बनाई लेकिन ट्रस्ट की मीटिंग में इस पर पुन: विचार हुआ निष्कर्ष निकला की संस्था अपने उद्देश्य से भटक रही है। ट्रस्ट का उद्देश्य लोगो के मन में धार्मिक ज्ञान, धर्म कि प्रति आस्था, जागरूकता, व रुझान उत्पन्न कर उसमे वृध्धि करना है। अत: ट्रस्ट की मीटिग में निर्णय लिया की आगामी वर्ष से दिन में ही संगीतमय श्री राम कथा या श्री भागवत कथा का आयोजन किया जाये फलस्वरूप सन 2003 से आज तक नवरात्रि महोत्सव में उक्त आयोजन हो रहे है। प्रति वर्ष श्री राम कथा या श्री भागवत कथा के लिये देश के उच्च कोटि के कथाकार आमन्त्रित किये जाते है। उनके श्रीमुख से कथा श्रवण करने के लिये काफी तादाद में भक्त गण पधारते हें शेष सभी कार्यक्रम 1972 से यथावत निरन्तर होते आ रहे है।